चन्द्रकान्ता (Hindi Novel)
देवकी नन्दन खत्री & Devki Nandan Khatri
‘चन्द्रकान्ता’ (सन् १८८८) को मूलतः और प्रमुखतः एक प्रेम-कथा कहा जा सकता है। चार हिस्सों में विभाजित इस उपन्यास की कथा अनायास ही हमें मध्यकालीन प्रेमाख्यानक काव्यों का स्मरण कराती है। इस प्रेम-कथा में अलौकिक और अतिप्राकृतिक तत्त्वों का प्रायः अभाव है और न ही इसे आध्यात्मिक रंग में रंगने का ही प्रयास किया गया है। यह शुद्ध लौकिक प्रेम-कहानी है, जिसमें तिलिस्मी और ऐयारी के अनेक चमत्कार पाठक को चमत्कृत करते हैं। नौगढ़ के राजा सुरेन्द्रसिंह के पुत्र वीरेन्द्रसिंह तथा विजयगढ़ के राजा जयसिंह की पुत्री चन्द्रकान्ता के प्रणय और परिणय की कथा उपन्यास की प्रमुख कथा है। इस प्रेम कथा के साथ-साथ ऐयार तेजसिंह तथा ऐयारा चपला की प्रेम–कहानी भी अनेकत्र झलकती है। विजयगढ़ के दीवान कुपथसिंह का पुत्र क्रूरसिंह इस उपन्यास का खलनायक है। वह राजकुमारी को हथियाने के लिए अनेक षड्यन्त्र रचता है। नाज़िम और अहमद जैसे ऐयार उसके सहायक हैं परन्तु अपने कुकृत्यों के अनुरूप ही उसका अन्त हो जाता है। चुनार का राजा शिवदत्तसिंह भी असत् अथवा खल पात्रों की श्रेणी में आता है। वह भी क्रूरसिंह से प्रेरित होकर चन्द्रकान्ता की प्राप्ति का विफल प्रयत्न करता है। वह विजयगढ़ पर आक्रमण करता है, परन्तु नौगढ़ एवं विजयगढ़ के शासकों और वीरेन्द्रसिंह की वीरता तथा जीतसिंह, तेजसिंह, देवीसिंह आदि ऐयारों के प्रयत्न से परास्त होता है। इन ऐयारों की सहायता से वीरेन्द्रसिंह अनेक कठिनाइयों और बाधाओं का सामना करता हुआ तिलिस्म को तोड़ता है और चन्द्रकान्ता को मुक्त कराता है। इस तिलिस्म से उसे अपार सम्पदा प्राप्त होती है और वह चन्द्रकान्ता का पाणिग्रहण करता है। चपला तेजसिंह की परिणीता बनती है और चम्पा का देवीसिंह से विवाह होता है। हूण और मुगल आक्रमणकारियों के समय से भारत में नारियों का सम्मान कम हुआ और क्रमशः पर्दा प्रथा आदि कुरीतियाँ भारतीय जीवन पर अपना प्रभाव दिखाने लगीं कि आज के सम्य में सामान्य व्यक्ति पर्दा प्रथा को भारतीय देन समझता है। इस उपन्यास में भी कुछ मिश्रित प्रभाव दिखाई देता है। एक तरफ तो ऐयारी जैसा कार्य जिसमें काफी जोख़िम और साहस का प्रदर्शन करना होता है उसमें चपला, चम्पा तथा आगे के भागों में मनोरमा, गौहर आदि बढ़-चढ़कर भाग लेती बताईं गईं है, वहीं राज परिवार कभी-कभी इसी प्रथा का अभ्यास करते भी दिखे हैं।
Year:
2012
Publisher:
Bhartiya Sahitya Inc.
Language:
hindi
ISBN 10:
1613010079
ISBN 13:
9781613010075
File:
PDF, 2.48 MB
IPFS:
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hindi, 2012